Friday, February 25, 2011

'दूसरों के Events कैच कैसे किये जाते हैं ?' आज की Class का विषय और इसका व्यवहारिक प्रशिक्षण

बड़ा ब्लागर बनने के लिए आप के अंदर बड़े गुणों का होना बेहद जरूरी है । सत्य सबसे बड़ा गुण है और इसे जाहिर करने के लिए साहस की जरूरत होती है , भय और लालच से मुक्त होने की जरूरत होती है । जब आप सच बोलेंगे तो यह उन लोगों के खिलाफ जाएगा जो स्वयंभू बड़े ब्लागर बने बैठे हैं । आप सच बोलिए मालिक आपको बहुत जल्द बड़ा देगा । आपको बड़े बड़े पहचानने भी लगेंगे और आपकी सच बोलने की आदत से डरने भी लगेंगे।
आप ब्लाग जगत की बड़ी बड़ी खबरों पर नज़र रखेंगे तो आपको बड़ा ब्लागर बनने में बहुत आसानी रहेगी ।
Events कैच कैसे करें ?
बड़े ब्लागर्स अपने सरोकार की खातिर पोस्ट लिखते हैं और उनकी पोस्ट दूसरे छोटे बड़े ब्लागर अपने सरोकार की खातिर टिप्पणियाँ करते हैं । इन्हें छकाने के लिए आप इनके इवेंट्स को कैच कर लीजिए । अगर आपको छोटा ब्लागर समझकर या अपनी अंध सांप्रदायिक पॉलिसी के कारण ये ब्लागर आपके ब्लाग पर आने से परहेज़ करते हैं तो आप उनकी क़लई खोल दीजिए ।
हम आपको इसका व्यवहारिक प्रशिक्षण देते हैं और पूरी दुनिया में यह अपने आप में ऐसी अकेली यूनिवर्सिटी है । बड़े ब्लागर्स ने इसकी स्थापना को हिंदी ब्लाग जगत की सबसे बड़ी घटना केवल अपनी गुटबाज़ी के कारण नहीं माना और 'नुक्कड़' ब्लाग ने इससे छोटी घटना को हिंदी ब्लाग जगत की सबसे बड़ी महाख़बर घोषित कर दिया और वह है भाई अजित वडनेरकर जी को उनके संकलन 'शब्दों का सफ़र' पर एक लाख रुपये की घोषणा ।
बस हमने तुरंत
commentsgarden.blogspot.com
और
lucknowbloggersassociation.blogspot.com
पर दो पोस्ट्स बनाकर सच सच कह दिया कि यह हिंदी ब्लाग जगत की सबसे बड़ी महाख़बर नहीं है ।
इसका प्रभाव यह हुआ कि मेरी पोस्ट को पढ़ना और उस पर कमेंट देना बड़े ब्लागर्स की मजबूरी बन गया और मेरी पोस्ट चंद मिनटों में ही हमारी वाणी की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पोस्ट्स में नज़र आने लगी ।
यह घटना आज की ताजा घटना है । इसे आपके व्यवहारिक प्रशिक्षण के लिए आम किया जाता है और साथ ही इस विषय पर यह मेरी तीसरी पोस्ट भी बन गई है जिससे बड़े ब्लागर्स में बिलबिलाहट का इज़ाफ़ा ही होगा ।
आप भी सच बोलें , मालिक आपको बड़ा ब्लागर बना देगा ।
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हमारी वाणी के ज़रिये नुक्कड़ की पोस्ट को मात्र पच्चीस पाठकों ने पढ़ा , जबकि हमारी उनके इवेंट पर हमारी चार पोस्ट्स को १६० लोगों से ज्यादा ने पढ़ा . (दिनांक ८-३-2011)

Thursday, February 3, 2011

तरीका : बड़े ब्लागर्स के लिखने का The style of a big blogger

१३-०१-२०११

तरीका - ब्लाग लिखने का.

        मेरी पूर्व पोस्ट 'ब्लाग-जगत की ये विकास यात्रा' पर भाई सतीशजी सक्सेना ने टिप्पणी में एक बहुत सही बात लिखी कि इस क्षेत्र में लिखने वालों की कमी नहीं है, बल्कि पढने वालों की कमी है, सामान्य तौर पर लोग लिखे हुए को सरसरी तौर पर पढते हैं और उसी आधार पर आपके लेखन का मूल्यांकन करके या तो आगे निकल लेते हैं या फिर कामचलाऊ टिप्पणी छोडकर खानापूर्ति कर जाते हैं । मैं भी उनकी इस बात से शब्दषः सहमत हूँ । वैसे भी लोग यहाँ अपना ब्लाग बनाने आते हैं, और ब्लाग लिखने के लिये ही बनाया जाता है स्वयं के पढने के लिये नहीं, जबकि दूसरों के ब्लाग इसलिये पढे जाते हैं कि-

            1.  हमें कुछ नया जानने को मिले ।
            2.  लोकप्रिय लेखको की लेखनशैली से हमारे अपने लिखने के तरीकों में सुधार या परिपक्वता दिखे ।
            3.  हमारी टिप्पणी के माध्यम से अन्य लेखक हमारे बारे में जाने और हमारे ब्लाग तक आकर हमारा लिखा पढ सकें ।
            4.  इस माध्यम से परिवार, समाज और देश-दुनिया के बहुसंख्यक लोग बतौर लेखक हमें भी पहचानें ।

            निःसंदेह जब हम अपना ब्लाग बनाकर लिखना प्रारम्भ करते हैं तो उपरोक्त सभी लक्ष्यों की कम या ज्यादा अनुपात में पूर्ति अवश्य होती है । किन्तु समान परिस्थितियों में होने के बावजूद कुछ लोगों को बहुत जल्दी अपने इन प्रयासों में समय की व्यर्थ बर्बादी दिखने लगती है और वे निरुत्साहित होते-होते अपने लिखने के प्रयासों को कम करते हुए लिखना बन्द कर जाते हैं । वहीं कुछ लोग अपने नित नये विषयों और रोचक लेखन शैली के बल पर अपने लिये एक तयशुदा मुकाम आसानी से बना लेने में सफल हो जाते हैं । ये अन्तर क्यों होता है इसी चिन्तन का परिणाम है यह आलेख, जिससे आप-हम लेखन के इस प्रयास में अधिकाधिक पाठकों तक अपनी पहुँच बनाये ऱख सकने में बहुत हद तक कामयाब हो सकते हैं-

            सर्वप्रथम हम इस बात का ध्यान रखने की कोशिश करें कि हमारा लेख किसी भी विषय पर लिखा जा रहा हो किन्तु न तो वह अपनी संक्षिप्तता के प्रयास में दो-चार लाईन में सिमट जाने जितना छोटा हो और न ही सुरसा के मुंह के समान लम्बा खींचता चला जाने वाला हो । मेरी समझ में छोटा लेख यदि अपनी बात को पूरी तरह से कह पाने में सक्षम है तो वह तो चल जावेगा, किन्तु कितने भी महत्वपूर्ण विषय पर कितना ही तथ्यों व जानकारीपरक लेख हो लेकिन यदि आप उसे लम्बा खींचते ही चले जावेंगे तो यह तय मानिये कि पाठक उस तक पहुँचेगे तो अवश्य किन्तु गम्भीरता से पढे बगैर ही वहां से निकल भी लेंगे और उस लेखन के द्वारा आप अपनी बात अन्य लोगों तक पहुँचा पाने के अपने उद्देश्य से वंचित रह जावेंगे ।

            कभी अपनी लेखन-शैली में विद्वता दिखाने के प्रयास में हम अत्यन्त जटिल शब्दों का (जिसे हम क्लिष्ट भाषा भी कह सकते हैं) प्रयोग कर जाते हैं । निःसंदेह इससे हमारे पांडित्य की छाप पाठकों के मन में हमारे प्रति भले ही बैठ जावे किन्तु अधिकांश लोग उसे रुचिपूर्वक नहीं पढते । हमारा लिखना जितना सरल शब्दों में होगा, बात को आसानी से समझा पाने के लिये उसमें जितने लोकप्रिय मुहावरों का या चिर-परिचित दोहे अथवा सम्बन्धित फिल्मी गीतों की पंक्तियों का आसान समावेश होगा आपका लेखन आम पाठक के उतना ही करीब हो सकेगा । जहाँ तक सरल भाषा शैली की बात की जावे तो हम किसी भी समाचार-पत्र अथवा उपन्यासों में प्रयोग की जाने वाली शैली को अपने ख्याल में रखकर अपनी लेखन-यात्रा को लोकप्रियता के दायरे में बनाये रखने का प्रयास कर सकते हैं ।

             अब मेरे लिखने के तरीके पर बात करने के पूर्व थोडी सी बात संदर्भ के तौर पर मैं अपने बारे में करना चाहता हूँ-

            मेरी जीवन-यात्रा में अपने भरण-पोषण की मेरी शुरुआत एक कम्पोजिटर के रुप में रही है । कम्पोजिटर याने प्रिन्टिंग प्रेस में कार्यरत वो प्राणी जिसके हाथ से गुजरे बगैर बडे से बडे लेखक की भी न तो कोई किताब छप सकती हो और न ही कोई समाचार पत्र पाठकों के हाथ तक पहुंच सकता हो । बडे व नामी लेखकों की कुछ तो भी अस्पष्ट लिखावट (राईटिंग) हमें पढकर व समझकर कम्पोज करना होती थी । काना, मात्रा, स्पेस, पेरेग्राफ की जो समझ अपने काम के दरम्यान एक कम्पोजिटर में रात-दिन काम करते रहने के कारण बन जाती है वो कभी-कभी लिखकर प्रेस में भेज देने वाले लेखकों की लिखावट में सम्भव ही नहीं होती थी । जबकि छपी हुई सुन्दरता एक अलग ही स्थान रखती दिखती है ।

             अब बात लिखने के बारे में-

            जब भी जिस भी विषय पर कुछ लिखने का विचार मेरे मन में बनता है मैं उसे अपने मस्तिष्क के तमाम आवश्यक व अनावश्यक तथ्यों के साथ बिना किसी तारतम्यता के लिखकर प्रायः 6-8 घंटों के लिये छोड देता हूँ । अगली बार जब उसे फिर आगे बढाने बैठता हूँ तब तक एक ओर जहाँ उस विषय पर लिख सकने योग्य कुछ नया दिमाग में शामिल हो जाता है वहीं पुराने लिखे हुए में जो कुछ अनावश्यक है व जिसे हटा देने से मेरे उस लेख पर कोई फर्क नहीं पडेगा वह भी सामने दिखने लगता है । तब पुराना अनावश्यक हटा देने का व नया आवश्यक उसमें जोड देने का सम्पादन सा हो जाता है । फिर उस लिखे गये को पेरेग्राफ के रुप में कहाँ रहना है यह क्रम व्यवस्थित हो जाता है, जो आज के इस कम्प्यूटर युग में तो बहुत आसान हो गया है ।

             अन्त में अपने उस बने हुए लेख को ध्यान से पढकर मैं रिपीट होने वाले शब्दों को या तो हटा देता हूँ या फिर बदल देता हूँ ।

            फाईनल मैटर को दो-तीन बार पढने से अनावश्यक शब्द हटाना,  प्रूफरीडिंगनुमा गल्तियां सुधारना, मैटर को उसके संतुलित आकार में रखना और पर्याप्त सहज व रुचिकर शैली में मैं अपनी बात उस लेख के माध्यम से कह सका इन सब मुद्दों पर संतुष्ट हो चुकने के बाद ही मैं उसे प्रसारित करने योग्य समझता हूँ और शायद यही कारण है कि मेरे लिखे का विषय कुछ भी चल रहा हो किन्तु वो अपने अधिकांश पाठकों तक न सिर्फ पढने के दायरे में पहुँच जाता है बल्कि निरन्तर बढते फालोअर्स के द्वारा ये संतुष्टि भी मुझे दिला पाता है कि आपका अगला लिखा हुआ भी हम पढने के लिये तैयार हैं, और शायद इसीलिये हमारे सुपरिचित डा. टी. एस. दराल सर जैसे पाठकों से मुझे यह प्रतिक्रिया भी मिल जाती है कि आपके लिखे में परिपक्वता झलकती है ।
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अपने विद्यार्थियों के लिए हमने यह पोस्ट जनाब सुशील बाकलीवाल जी से साभार ली है .
पूरी पोस्ट और पाठकों की प्रतिक्रिया जानने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

Tuesday, February 1, 2011

कैसे बनाएं अपना ब्लॉग ? Create a blog

आज के इस दौर में अपनी बात को दूसरों तक पहुँचाने का सबसे आसान माध्यम ब्लॉग है, जिसे हिंदी में "चिटठा" भी  कहा जाता है. ब्लॉग बनाना बहुत आसान है, इसके लिए प्रोग्रामिंग भाषा (Programing Language) की जानकारी होना आवश्यक नहीं है, बल्कि बहुत थोड़ी सी तकनीकी जानकारी ही काफी होती है, अगर तकनीकी जानकारी भी नहीं नहीं तब भी काम चल जाता है. 

ब्लॉग के लिए कुछ कम्पनियाँ मुफ्त में सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं, जिसमें blogger.com तथा wordpress प्रमुख हैं. इनकी सुविधाएं लेने के लिए आपको ना तो डोमेन नेम खरीदना पड़ेगा और ना ही होस्टिंग पैकेज. बस इनकी साईट पर जाकर अपना अकाउंट बनाना है, अपने ब्लॉग का नाम चुनना है और इसके बाद आप अपनी भावनाओं को ब्लॉग के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं.


आइये सबसे पहले blogger.com की सेटिंग समझते हैं:-

1. सबसे पहले http://blogger.com पर क्लिक करिए अथवा अपने इन्टरनेट ब्राउज़र के एड्रेस बार में blogger.com लिख कर एंटर दबाइए.
2. अगर आपका गूगल अकाउंट है तो (ऊपर दर्शाए गए चित्रानुसार) यहाँ अपने गूगल अकाउंट से लोगिन करना है अथवा "Don't have a Google Account? के नीचे लिखे "Get started"  पर क्लिक करके अपना गूगल अकाउंट बनाना है. अकाउंट बन जाने के बाद फिर यहीं आकर लोगिन करिए.
 3. ऊपर दिए गए चित्र अनुसार आपका देश बोर्ड खुल जाएगा. अब आपको चित्र में सर्कल के द्वारा दर्शाए गए लिंक "Create a Blog" पर क्लिक करना है.


4. ऊपर दर्शाए गए चित्र अनुसार खुलने वाले प्रष्ट में "Blog title" के सामने अपने ब्लॉग नाम लिखना है, जैसे की मेरी ब्लॉग साईट का नाम है "प्रेम रस" इसे आप अपने ब्लॉग की भाषा में भी लिख सकते हैं. अर्थात अगर आप हिंदी में अपना ब्लॉग बनाना चाहते हैं तो अपने ब्लॉग का टाइटल हिंदी में लिख सकते हैं.

5. "Blog address (URL)" के सामने बने बॉक्स में आप को अपने ब्लॉग का पता भरना है, उदहारण: myblog. याद रखिये यहाँ पर आपको पता इंग्लिश के शब्दों में भरना है, जिससे की आपके पाठकों को आप तक पहुँचने में आसानी रहे. 

6. नीचे लिखे "Check Availability" पर क्लिक करके जाँच सकते हैं कि आपके द्वारा भरा गया पता उपलब्ध है अथवा किसी और ने पहले ही यह नाम रख रखा है.

7. अगर आपका पता उपलब्ध है तो ठीक है अन्यथा दूसरा पता लिख कर फिर से जाँच करिए. पता मिल जाने पर उसके नीचे लिखे "Word Verification" के सामने लिखे अक्षरों को नीचे बने बॉक्स में लिख डालिए. यह शब्द सिक्योरिटी जाँच के लिए होते हैं और इससे सिस्टम को पता चलता है कि फॉर्म भरने वाला कोई मनुष्य है ना कि कंप्यूटर सोफ्टवेयर. अब नीचे लिखे "Continue"  पर क्लिक करिए. 



8. इसके बाद ऊपर दर्शाए गए चित्रानुसार ब्लॉग की थीम अर्थात उसकी साज-सज्जा के विकल्प दिखाई देने लगेंगे. अब आपको अपनी रूचि अनुसार इसमें से किसी भी विकल्प पर क्लिक करके सबसे नीचे तीर के निशान में लिखे "Continue" पर क्लिक करना है.

इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद आपका ब्लॉग बन जाएगा. उदहारण के लिए अगर आपने पता "myblog" रखा तो आपके ब्लॉग का पूरा पता (अर्थात URL) myblog.blogspot.com होगा.


 9. इस प्रक्रिया के बाद ऊपर दिखाई दे रहा प्रष्ट खुलेगा जिसमें तीर के निशान में लिखे "Start blogging" पर क्लिक करने से आपकी ब्लॉग पोस्ट करने वाला प्रष्ट खुल जाएगा, जो कुछ इस तरह का दिखाई देगा.


10. यहाँ "Title" में आपको अपनी ब्लॉग की पोस्ट का शीर्षक लिखना है तथा नीचे की ओर बने हुए बड़े से बॉक्स में अपनी पोस्ट लिखनी है. इस बॉक्स में ऊपर बने विभिन्न तरह के आइकन्स को आपने अपनी पोस्ट की सजावट के लिए प्रयोग कर सकते हैं. आइकन "अ" पर क्लिक करने से आप हिंदी में लिख सकते हैं, इस पर क्लिक करते ही आप जैसे ही अपने कीबोर्ड से कुछ भी टाइप करेंगे वह अपने आप ही हिंदी में बदल जाएगा, जैसे कि "ham" टाइप करने से यह इसे  "हम" में बदल देगा.

... जारी


blogger.com के बारे में अन्य जानकारियाँ में आगे कुछ और पोस्ट में देने की कोशिश करूँगा, अगर आप कुछ जानना चाहें तो नीचे टिपण्णी बॉक्स में लिख कर मालूम कर सकते हैं अथवा मेरे ईमेल पते shnawaz@gmail.com पर लिख कर मालूम कर सकते हैं.


स्वयं की ब्लॉग साईट: 
आप अपना स्वयं का ब्लॉग भी बना सकते हैं, जिसके लिए आपको एक डोमेन नेम अर्थात अपने ब्लॉग का नाम खरीदना पड़ेगा, जैसे मेरे ब्लॉग का नाम www.premras.com है, और साथ ही अगर आप अपनी ब्लॉग-पोस्ट को अपने स्पेस में रखना चाहें तो होस्टिंग पैकेज भी खरीद सकते. होस्टिंग के अंतर्गत उपलब्ध जगह (स्पेस) और डाटाबेस के द्वारा ही ब्लॉग-पोस्ट को सेव किया जाता है.  

किसी अच्छी कंपनी से डोमेन नेम खरीदने का तकरीबन 600 रूपये का खर्च आता है. अगर आप केवल डोमेन नेम ही खरीदना चाहते हैं तो अपनी ब्लॉग पोस्ट blogger.com के द्वारा ही प्रकाशित कर सकते हैं. इसके लिए आपको डोमेन नेम खरीदने के बाद उसकी सेटिंग में कुछ बदलाव करने पड़ेंगे तथा blogger.com की सेटिंग में भी कुछ बदलाव करने पड़ेंगे, जिन्हें मैं अगली पोस्ट में समझाने की कोशिश करूँगा. 

अगर आप डोमेन के साथ ही होस्टिंग पैकेज भी खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको 100 से 150 MB डिस्क स्पेस के लिए तकरीबन 1500 रूपये  खर्च करने पड़ेंगे. इसके उपरान्त आप अपनी ब्लॉग साईट का कंटेंट डिज़ाइन करवा सकते हैं अथवा wordpress का सेटअप भी प्रयोग कर सकते हैं. wordpress सेटअप मुफ्त में उपलब्ध होता है, लेकिन इसको सर्वर पर अपलोड करने  के साथ ही कुछ सेटिंग भी करनी पड़ती हैं. इसके साथ ही इन्टरनेट पर हज़ारों मुफ्त थीम (साज-सज्जा) भी उपलब्ध हैं तथा आप प्रोफेशनल थीम खरीद भी सकते हैं अथवा अपनी इच्छा अनुसार डेवलेप भी करा सकते हैं, जिसका खर्च कार्य के अनुसार ही आएगा.

आप चाहें तो अपना डोमेन अथवा होस्टिंग पैकेज वेब डेवलेपमेंट कंपनी "ह्यूमर-शॉपी" http://www.humourshoppe.com  से भी खरीद सकते हैं.  यहाँ से डोमेन आपको blogger सेटिंग के साथ मिलेगा तथा होस्टिंग पैकेज खरीदने पर मुफ्त में wordpress सेटअप भी मिल जाएगा. आप चाहें तो मुफ्त थीम अपलोड कर सकते हैं अथवा अपनी थीम अपने हिसाब से बनवा सकते हैं या फिर बाज़ार में मौजूद प्रोफेशनल थीम खरीद भी सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए आप humourshoppe@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं.
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हमने यह पोस्ट अपने विद्यार्थियों के लिए भाई शाहनवाज़ सिद्दिक़ी  साहब से साभार ली है .

कोई भी घटना हो तो एक आदर्श ब्लागर के दिमाग़ में तुरंत एक पोस्ट का विचार आना चाहिए . The ideal blogger

घेर लेने को मुझे जब भी बलाएं आ गईं
ढाल बनकर सामने मां की दुआएं आ गईं

कल दोपहर के वक्त मैं जंगल से वापस लौट रहा था। सड़क के दोनों तरफ़ दूर तक हरियाली फैली हुई थी। मेरे साथ पुष्कर तोमर जी भी थे। वह एक युवा हैं। वह कहते हैं कि कहने के तो हम ठाकुर हैं लेकिन कर्म हमारे बिल्कुल ब्राह्मणों जैसे हैं। हम सुबह शाम रामायण पढ़ते हैं। मांस-मच्छी के पास तक नहीं जाते। नशा नहीं करते आदि आदि। इसी विषय पर मैं उनसे बात कर रहा था। तभी अचानक ‘धड़ाम‘ की एक ज़ोरदार आवाज़ सुनाई दी। हमारे आगे जो कार चल रही थी वह सड़क पर अचानक ही तिरछी हो गई। उसे बचाने के चक्कर में हमारी बाइक सड़क से उतर गई और रोड साईड पर बजरी पर फिसलकर गिर गई। मेरा मुहं बजरी में रगड़ खाता हुआ चला गया। मैंने उठकर सबसे पहले पुष्कर जी की ख़ैरियत ली। उन्हें निहायत मामूली सी खरोंचे आईं थीं। मैंने कार पर नज़र डाली तो पता चला कि उसका सामने का शीशा टूट चुका है। उसमें आगे की सीट पर दो मर्द सवार थे। सड़क के किनारे एक नीलगाय उर्फ़ नीलघोड़ा पड़ा था। उसे देखते ही सारा माजरा समझ में आ गया कि असल में हुआ यह था कि अचानक ही नीलगाय ने सड़क पार करनी चाही और कार से टकरा गई। बहुत कम देर में ही नीलगाय उठी और चली गई। कार वालों के होश फाख्ता से लग रहे थे। मैंने सब हालात का जायज़ा लेकर अपनी चोट का अंदाज़ा लगाया और कहा कि अल्लाह का शुक्र है कि सब ठीक है। जी. टी. रोड जैसे बिज़ी रास्ते पर, जहां हरदम कोई न कोई बड़ा वाहन गुज़रता ही रहता है, उस वक्त दूर दूर तक कोई भी बड़ा तो क्या कोई छोटा वाहन भी न था, वर्ना समीकरण कुछ और भी हो सकते थे। मेरे पूरे वजूद को लोड मेरे चेहरे पर ही आ गया था सो मेरी गर्दन में दर्द हो रहा था। बाइक को उठाया तो पता चला कि उसका हैंडल थोड़ा सा तिरछा हो गया था।
बहरहाल एक्सीडेंट तो हो गया और हमने अल्लाह का शुक्र भी अदा कर दिया और दुआ के बाद बारी थी कर्म की। एक ब्लागर का कर्म हैं ब्लागिंग करना। कोई भी घटना हो तो उसके दिमाग़ में तुरंत एक पोस्ट का विचार आ जाए तो उसे एक आदर्श ब्लागर मानना चाहिए। पुष्कर जी ने अपना चेहरा धो लिया और मुझसे भी कहा तो मैंने कहा कि भाई पहले ज़रा दो चार फ़ोटो ले लीजिए। हमने मिट्टी से सने अपने चेहरे के फ़ोटो लिए। हमारे चश्मे पर पर बेतहाशा खरोंचें आ चुकीं थीं। उसकी वजह से हमारी आंखें ज़ख्मी होने से बच गईं। अपने चश्मे का फ़ोटो भी खुद लिया और धीरे धीरे चलकर शहर आ गए। मोटर सायकिल मैकेनिक के हवाले करके हमने जुहर की नमाज़ अदा की और फिर अपनी मरहम पट्टी करवाई। चश्में की दुकान पर जाकर तनवीर भाई को अपना चश्मा दिया और कहा कि इसे ठीक करके तुरंत दीजिए।
वे बोले कि कारीगर तो अभी दुकान पर है नहीं। दूसरी जगह भेजकर इसके लेंस बदलवाने होंगे। शाम तक ही मिल पाएगा।
हमने कहा कि तब आप इसे हमारे रेज़िडेंस पर भिजवा दीजिएगा। वहां से निकलते ही हमने ब्लाग ‘पछुआ पवन‘ का जायज़ा लिया। इसे जनाब पवन कुमार मिश्रा जी संभालते हैं। वे एक पूरी पोस्ट लिखकर हमसे सवाल जवाब कर रहे थे। उन्हें हमने एक जवाब दिया।
एक मंत्री जी भी हमारे शहर में आने वाले थे। सोचा कि शायद उनसे मुलाक़ात हो जाए। लेकिन जब हम पहुंचे तो वे अपने हैलीकॉप्टर में बैठ चुके थे और जब तक हम अपना कैमरा संभालते, तब तक उनका हैलीकॉप्टर धूल उड़ाते हुए हवा में बुलंद होने लगा था। उनके हवा होते ही सामने एक सरकारी वाहन आता दिखाई दिया। वह हमारे पास से गुज़र गया।
ख़ैर, घर पहुंचे तो हमारे घर वालों ने हमारी हालत देखी और रिश्तेदार और पड़ौसी, हिंदू-मुस्लिम सभी आ जुटे और उस मालिक का शुक्र करने लगे।
मैं भी उसी मालिक का शुक्रगुज़ार हूं। वाक़ई जब तक मौत का वक्त नहीं आएगा, तब तक मौत भी नहीं आएगी। यह सच हे।
अल्-हम्दुलिल्लाह !  
तमाम उम्र सलामत रहें दुआ है यही
हमारे सर पे हैं जो हाथ बरकतों वाले